घुटने के जोड़ के आसपास की मांसपेशियों में लचीलापन, शक्ति और स्थिरता में सुधार करके घुटने के दर्द के प्रबंधन के लिए योग फायदेमंद हो सकता है। हालाँकि, सावधानी के साथ योग करना और स्वास्थ्य देखभाल पेशेवर या प्रमाणित योग प्रशिक्षक से परामर्श करना महत्वपूर्ण है, खासकर यदि आपके पास घुटने का दर्द या कोई अंतर्निहित चिकित्सा स्थिति है। वे मार्गदर्शन प्रदान कर सकते हैं और संशोधनों या विशिष्ट पोज़ का सुझाव दे सकते हैं जो आपकी स्थिति के लिए उपयुक्त हैं।
यहाँ कुछ सामान्य योग मुद्राएँ हैं जो अक्सर घुटने के दर्द से राहत के लिए सुझाई जाती हैं:
- पर्वत मुद्रा (ताड़ासन): अपने पैरों को कूल्हे-चौड़ाई से अलग करके खड़े हो जाएं, अपना वजन समान रूप से वितरित करें, और अपने घुटनों को आराम से रखते हुए अपनी जांघ की मांसपेशियों को संलग्न करें।
- चेयर पोज (उत्कटासन): अपने पैरों को कूल्हे-चौड़ाई से अलग करके खड़े हो जाएं और स्क्वाट करें जैसे कि एक काल्पनिक कुर्सी पर बैठे हों। अपने घुटनों को अपनी टखनों से जोड़कर रखें और कुछ सांसों के लिए मुद्रा को बनाए रखें।
- वारियर II पोज़ (वीरभद्रासन II): अपने पैरों को अलग रखें, अपने दाहिने पैर को बाहर की ओर मोड़ें, और अपने दाहिने घुटने को मोड़ते हुए इसे अपने टखने के साथ संरेखित करें। अपनी भुजाओं को भुजाओं की ओर फैलाएं, फर्श के समानांतर। कई सांसों के लिए मुद्रा को रोकें और फिर दूसरी तरफ दोहराएं।
- ब्रिज पोज (सेतु बंधासन): अपने घुटनों को मोड़कर और पैरों को कूल्हे-चौड़ाई से अलग करके अपनी पीठ के बल लेट जाएं। अपने पैरों और बाहों को फर्श पर दबाएं, अपने कूल्हों को जमीन से ऊपर उठाएं और अपनी उंगलियों को अपने श्रोणि के नीचे गूंथ लें। कुछ सांसों के लिए मुद्रा को बनाए रखें और फिर धीरे से नीचे आ जाएं।
- बाल मुद्रा (बालासन): फर्श पर घुटने टेकें, अपनी एड़ी पर वापस बैठें, और अपने धड़ को आगे की ओर झुकाएं, अपने माथे को चटाई पर लाएं। अपनी भुजाओं को अपने सामने या अपने शरीर के साथ फैलाएँ। इस मुद्रा में गहरी सांस लें और आराम करें। अपने शरीर को सुनना याद रखें और अपने आप को अपनी सीमा से परे न धकेलें। यदि कोई मुद्रा दर्द या परेशानी का कारण बनती है, तो इसे संशोधित करें या इसे पूरी तरह से छोड़ दें। अपने योग अभ्यास की तीव्रता और अवधि को धीरे-धीरे बढ़ाएं क्योंकि आपके घुटने की ताकत और लचीलेपन में सुधार होता है।